राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में चम्बल किनारे बसा शहर जो कॅरियर सिटी के रूप में पहचान रखता है। करीब 15 लाख की आबादी वाला यह शहर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, इतिहास और आवभगत की परम्परा के लिए विख्यात है। यहां हर वर्ष लाखों विद्यार्थियों का कॅरियर बनाया जा रहा है। देश के कोने-कोने से हर वर्ष लाखों विद्यार्थी अपने सपनों को साकार करने के लिए आते हैं। यहां मेहनत है, सपने हैं और सफलता है। डॉक्टर या इंजीनियर बनने का सपना देखने वाला हर विद्यार्थी कोटा आकर पढ़ाई करना चाहता है। अभिभावकों के विश्वास पर भी कोटा शहर खरा उतरा है।
कोटा की पहचान कोटा डोरिया साड़ी, कोटा स्टोन, चम्बल रिवर फ्रंट व कचौरी के लिए भी है। बीते तीन दशकों में कोटा ने अलग पहचान कोचिंग नगरी के रूप में बनाई है। कोटा में संगठित कोचिंग की शुरूआत का श्रेय एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के संस्थापक निदेशक श्री राजेश माहेश्वरी को जाता है। उन्होंने वर्ष 1988 में एक नई सोच के साथ एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड संस्थान की नींव रखी और फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी विषयों की कोचिंग को एक ही छत के नीचे लाने का सफल प्रयोग किया।
यहां देश के कोने-कोने से आने वाले विद्यार्थियों को घर जैसा माहौल देने की कोशिश की जाती है। इसके लिए हर एक व्यक्ति प्रयासरत है। यहां के नागरिक, कोचिंग संस्थान और व्यवसायी सभी मिलकर आने वाले विद्यार्थियों का कॅरियर संवारते हैं।
कोटा कोचिंग को आज वैश्विक परिदृश्य में शिक्षा की काशी कहा जाता है। यह संज्ञा भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दी है। कई बार अपने संबोधन में कोटा को मिनी इंडिया कह चुके हैं। पूर्व मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भी अपने संबोधन में कोटा को ‘शिक्षा का तीर्थ’ बता चुके हैं। इसी तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, स्मृति ईरानी सहित अनेक शिक्षाविद कोटा की सराहना कर चुके हैं।